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Tuesday 14 September, 2010


@ रविन्द्र जी ! (1 ) वाल्मीकि रामायण में आया है कि राम जन्म के समय रजा दशरथ की आयु 60 हज़ार साल थी. अयोध्या कांड 34वें सर्ग श्लोक नंबर 10 -13 में कि रजा दशरथ के कौसल्या आदि महारानियों के अलावा 350 जवान रानियाँ भी थीं, वे सभी पतिव्रता थीं, प्रष्ट संख्या 283 प्रकाशन गीता प्रेस गोरखपुर।
(2 ) श्रीमदभागवत महापुराण के 10 -59 में आया है की श्री कृषण जी ने 16100 राज कन्याओं से विवाह कर उन्हें अपनी पत्नी बनाया और उन सभी ने दासियों सहित उनकी भली प्रकार सेवा की
( 3 )  ये वे  सामान्य तथ्य  हैं जिन्हें गीता, रामायण पढ़ने वाला हिन्दू भी जानता है, इनके जानने  से पता चलता है की आप सामान्य हिन्दू के स्तर का भी ज्ञान नहीं रखते, आपने हवाला माँगा सो मैंने दे दिया, लेकिन मुझे इन दोनों साहिबान के बहु विवाह पर कोई ऐतराज़ नहीं है क्योंकि आज तक किसी भी मुस्लिम आलिम ने इन पर ऐतराज़ किया भी नहीं है, हमें सम्मान सिखाया गया है हम सभी महापुरुषों का सम्मान करते भी हैं
(4 )  दुःख होता है यह देख कर कि जो हिन्दू श्री कृषण जी को ईश्वर का दर्जा देते हैं वे उनके अश्लील चित्र बनाते हैं, उनके भक्त उन्हें सरहाते हैं जबकि मक़बूल फ़िदा के इसी कर्म को  घिनौना बताते है और उन्हें देश से भगाते हैं,जो कर्म दुसरे का निंदनीय है वह अपना होकर प्रशाश्नीय कैसे बन जाता है? इसी दोहरे माप दंड पर मुझे सख्त ऐतराज़। यहाँ देखें
( 5 )  16100 रानियों के लिए यहाँ देखें
 ( 6 )  गीता और रामायण के सड़क पर बिकने से वे घटिया नहीं हो जाती बल्कि इससे उनकी लोकप्रियता का पता चलता है
@ MAN जी ! जिन पुस्तकों से मैंने हवाला दिया है उनमें हिन्दुओं कि अक्सिरियत विश्वास रखती है, और उन्हें घटिया पुस्तक नहीं बल्कि ईश्वरीय ग्रन्थ मानती हैं, ऐसा  मैं समझता हूँ, कुछ ग़लत हो तो कृपया सही तथ्य सामने लायें
1 अनवर साहब ने तो कहीं पुराण कथाओं में विश्वास रखने वालों की जनसँख्या का प्रतिशत दिखाया नहीं, फिर आप कैसे कह सकते है की वे अधिसंख्यक हिन्दुओं द्वारा पुराण कथाओं में विश्वास रखना बता रहे हैं
2   कृपया बताएं पुराणों को मानने वाले हिन्दू समाज में बहु संख्यक हैं या अल्प संख्यक अर्थात ज्यादा है या उँगलियों पर गिनने लायक. आप द्वारा अपने विचार प्रकट करने के लिए मैं आप का शुक्रगुज़ार हूँ , मैं आप द्वारा पोस्ट पर आने और तथ्यों की पुष्टि  करने के लिए शुक्रगुज़ार हूँ